* चीतापाली में मनरेगा घोटाला: फर्ज़ी मस्टर रोल, डिलीटेड जॉब कार्ड और अधूरा डैम ? *

धरमजयगढ़ ( विशेष संवाददाता ) – जनपद पंचायत धरमजयगढ़ के ग्राम पंचायत बोजिया के आश्रित ग्राम चीतापाली में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के अंतर्गत बनाए जा रहे डैम निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार और अनियमितता का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। स्थानीय ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के अनुसार इस योजना के नाम पर लाखों रुपये की बंदरबांट की जा चुकी है, जबकि धरातल पर कार्य लगभग शून्य है।
74% कार्य रिकॉर्ड में पूर्ण, स्थल पर स्थिति विपरीत –
सरकारी दस्तावेजों में दर्शाया गया है कि डैम निर्माण का 74% कार्य पूर्ण हो चुका है। किंतु जब मौके पर जाकर जांच की गई, तो पाया गया कि कार्य लगभग ठप पड़ा हुआ है ! अनुमानित 2104 मानव दिवस मे से 1560 मानव दिवस यानि लगभग 74 प्रतिशत का कार्य पूर्ण हो जाना चाहिये था, लेकिन वस्तुस्थिति ही कुछ और है !
इस परियोजना की अनुमानित लागत लगभग 20 लाख रुपये है, जिसमें से अब तक 9 लाख रुपये खर्च दिखाए जा चुके हैं। आश्चर्य की बात यह है कि जिन मजदूरों के नाम पर भुगतान किया गया है, उनमें से कई के जॉब कार्ड सिस्टम से डिलीट हो चुके हैं। इसके बावजूद उन्हें मस्टर रोल में कार्यरत दिखाया गया है। आश्चर्य की बात तो यह है कि चीतापाली के अधिकांश जॉब कार्ड धारियों का नाम डिलीट कर दिया गया है और ज्यादातर का कारण काम करने का इच्छुक न होना बताया गया है !
रजिस्टर में घोटाले की पटकथा
जब कार्य से संबंधित रिकॉर्ड को खंगाला गया तो पाया गया कि ऑनलाइन रिकॉर्ड रजिस्टर नंबर 2 पूरी तरह कोरा है। जबकि रजिस्टर नंबर 1, 3 और 4 में फर्ज़ी नाम दर्ज कर कार्यदिवस और भुगतान की खानापूर्ति की गई है। मस्टर रोल में शंकर, लक्ष्मी, तिरिथराम, सुहानो जैसे कई नाम हैं जिनके नाम या तो डिलीट हो चुके हैं, जॉब कार्ड ही नहीं है , जॉब कार्ड है तो काम नहीं हुआ है या उपस्थिति रजिस्टर में सम्बंधित कार्य मे अनुपस्थित होने के बावजूद भुगतान दिखाया गया है, यह दर्शाता है कि रजिस्टर केवल दिखावटी कागज़ी औपचारिकता के लिए तैयार किया गया है, जिसकी कोई वास्तविकता नहीं है।
सामग्री का भुगतान एक ही व्यक्ति को
इस निर्माण कार्य में प्रयुक्त सामग्री का पूरा भुगतान मात्र एक ही व्यक्ति को किया गया है, जिससे पूरे लेनदेन की पारदर्शिता पर सवाल उठते हैं। आमतौर पर सामग्री आपूर्ति कई स्त्रोतों से होती है, लेकिन यहां एक व्यक्ति को समस्त राशि भुगतान करना भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है।
मानव दिवस का आंकड़ा भी संदिग्ध
रिकॉर्ड के अनुसार यह कार्य 2104 मानव दिवस में पूर्ण होना था, जिसमें से 1560 मानव दिवस का कार्य दिखाया गया है। लेकिन दो वर्षों के बाद भी यह डैम पूर्ण नहीं हुआ है, जिससे स्पष्ट होता है कि यह आंकड़े केवल भ्रष्टाचार छिपाने के लिए गढ़े गए हैं।
इस पूरे प्रकरण को लेकर ग्राम चीतापाली के जागरूक नागरिकों ने शासन-प्रशासन से उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। कई ग्रामीणों ने बताया कि वे कभी काम पर नहीं गए, फिर भी उनके नाम मस्टर रोल में दर्शाए गए हैं। यह न केवल योजनाओं की साख पर प्रश्नचिन्ह है, बल्कि गरीब मजदूरों के अधिकारों की भी खुली लूट है।
इस मामले पर अब तक जनपद पंचायत प्रशासन की ओर से कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है,यदि समय रहते निष्पक्ष जांच नहीं की गई, तो यह भ्रष्टाचार की जड़ें और गहरी कर सकता है। वहीं इस मामले की शिकायत एसीबी से करने की तैयारी स्थानीय नागरिक कर रहे हैं !
चीतापाली में सामने आया यह मामला मनरेगा जैसे गरीबों के लिए बनाई गई योजना के दुरुपयोग और लूट का सटीक उदाहरण है। यह आवश्यक है कि शासन इस पर संज्ञान ले, दोषियों पर कड़ी कार्यवाही करे और आम जनता के पैसे की पारदर्शी निगरानी सुनिश्चित करे। ( यह खबर आगे भी अपडेट की जायेगी )