* 1600 करोड़ लेकर टाटा ने कहा ” बाय बाय ” भारटनेट परियोजना पर लगा ग्रहण *

**भारतनेट फेज़-2 परियोजना में बड़ा घोटाला: सात साल बाद भी अधूरी इंटरनेट सेवा, 1600 करोड़ खर्च के बावजूद सिर्फ 200 पंचायतें जुड़ीं*

रायपुर, छत्तीसगढ़ – राज्य में डिजिटल क्रांति लाने के उद्देश्य से शुरू की गई भारतनेट फेज़-2 परियोजना अब एक बड़े घोटाले के रूप में सामने आई है। इस महत्वाकांक्षी योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की सुगम पहुंच सुनिश्चित करना था, लेकिन 7 वर्ष बीत जाने के बाद भी परिणाम बेहद निराशाजनक हैं।
*योजना की शुरुआत और उद्देश्य*

18 जुलाई 2018 को टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड (TPL) को छत्तीसगढ़ की 5,987 ग्राम पंचायतों में फाइबर ऑप्टिक केबल बिछाकर इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करने का ठेका दिया गया था। यह कार्य एक वर्ष में पूरा किया जाना था।

*क्या है वास्तविक स्थिति*

लेकिन 2024 की सरकारी जांच में यह पाया गया कि 7 साल बीत जाने के बावजूद 200 से भी कम पंचायतों में ही इंटरनेट सेवा चालू हो पाई है। शेष हजारों पंचायतें अब भी डिजिटल कनेक्टिविटी से वंचित हैं।
*भारी भुगतान, फिर भी अधूरा काम*

छत्तीसगढ़ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड आईटी एजेंसी (CHiPS) द्वारा टाटा को इस परियोजना के लिए 1,600 करोड़ रुपये का भुगतान पहले ही किया जा चुका था। इसके बावजूद अपेक्षित कार्य पूरा नहीं हो सका।

*कार्य रद्द, जुर्माना जब्त*

परिणामस्वरूप, मई 2025 में टाटा का ठेका रद्द कर दिया गया और परियोजना में लापरवाही के चलते 167 करोड़ रुपये की जमानत राशि जब्त कर ली गई है।यह मामला ग्रामीण डिजिटल भारत के सपने पर एक गहरी चोट है, जहां वर्षों बाद भी गांवों में इंटरनेट जैसी बुनियादी सुविधा नहीं पहुंच पाई। शासन और प्रशासन को इस घोटाले पर गंभीर जांच कर दोषियों को कठोर सजा देने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसी लापरवाही दोहराई न जाए।


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