
गांधीजी के आदर्श, सिद्धांत आज भी प्रासंगिक
गांधीजी की पुण्यतिथि
30 जनवरी भारतीय इतिहास का वह दिन है जब हमने महात्मा गांधी को खो दिया था। यह दिन हमें उनके विचारों, आदर्शों और बलिदान की याद दिलाता है। बापू का जीवन सादगी, अहिंसा और सत्य के प्रति अटूट निष्ठा का प्रतीक था। उनकी हत्या ने न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व को झकझोर दिया था!
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर (गुजरात) में हुआ था। उन्होंने सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों को अपनाकर स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया। उनका मानना था कि किसी भी परिवर्तन के लिए हिंसा की नहीं, बल्कि आत्मबल और सत्य की आवश्यकता होती है। गांधीजी ने अपने जीवन में अहिंसा को सबसे महत्वपूर्ण स्थान दिया। उनका मानना था कि प्रेम और करुणा से ही दुनिया को बदला जा सकता है।
सत्य: वे जीवनभर सत्य की राह पर चले और दूसरों को भी इसी मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।
सादगी और आत्मनिर्भरता: गांधीजी का जीवन अत्यंत सादा था। उन्होंने चरखा चलाकर आत्मनिर्भरता का संदेश दिया।
30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने गांधीजी की गोली मारकर हत्या कर दी। यह क्षण न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया के लिए दुःखद था। उनके अंतिम शब्द “हे राम!” आज भी हमारी आत्मा को झकझोर देते हैं।
गांधीजी भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके विचार आज भी हमें प्रेरणा देते हैं। उनके आदर्शों पर चलकर हम एक शांतिपूर्ण और समृद्ध समाज की स्थापना कर सकते हैं। उनके सिद्धांत न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया के लिए अमूल्य धरोहर हैं।
महात्मा गांधी की पुण्यतिथि केवल एक श्रद्धांजलि देने का अवसर नहीं है, बल्कि उनके विचारों को आत्मसात करने का भी दिन है। हमें उनके दिखाए मार्ग पर चलते हुए सत्य, अहिंसा और प्रेम के आदर्शों को अपनाना चाहिए। यही उनके प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।