*”विजयनगर की सड़कों पर नहीं दिखता विकास, दिखती है लापरवाही की दलदल “*

एक तरफ देश डिजिटल इंडिया की ओर तेजी से बढ़ रहा है, तो दूसरी ओर छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले का एक ऐसा गाँव है, जहाँ लोग आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। यह गाँव है – ग्राम पंचायत विजयनगर, जहाँ के हालात देखकर हर संवेदनशील नागरिक का दिल दहल जाएगा।
यहाँ के निवासी आज भी नरकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। गाँव को पंडरापाठ से जोड़ने वाला कड़रजा पहुंच मार्ग पूरी तरह बदहाल है। सड़क की हालत इतनी खस्ताहाल हो चुकी है कि न पैदल चलना मुमकिन है और न ही किसी वाहन का पहुँचना। बरसात में यह रास्ता दलदल में तब्दील हो जाता है। ग्रामीणों के लिए यह रास्ता सिर्फ संपर्क का साधन नहीं, बल्कि जीवन और मृत्यु के बीच की कड़ी बन चुका है।
*एम्बुलेंस नहीं पहुँचती, मरीजों को कंधों पर ढोते ग्रामीण*
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि 112 पुलिस सेवा हो या 108 एम्बुलेंस – कोई भी आपातकालीन सेवा समय पर गाँव नहीं पहुँच पाती। बीमारों को चारपाई या बाँस के सहारे कंधों पर उठा कर गाँव के बाहर लाया जाता है। कई बार तो प्रशासन से जवाब – सिर्फ प्रस्ताव भेजा गया है
इस सड़क की बदहाली पर जब प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (PMGSY) कार्यालय से संपर्क किया गया तो वहाँ से जानकारी मिली कि यह मार्ग एन.एम.जी.एस.वाय (NMGSY) के अधीन आता है। विभागीय अधिकारी विनोद मिंज ने बताया कि सुशासन पर्व में ग्रामीणों द्वारा इस मार्ग के निर्माण हेतु आवेदन प्राप्त हुआ है, और उसका प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। स्वीकृति मिलते ही कार्य आरंभ करने का दावा किया गया है।
गाँव की आँखों में आँसू नहीं, उम्मीदें हैं
विजयनगर के ग्रामीणों की आँखों में अब आँसू नहीं, सिर्फ उम्मीदें बची हैं — उम्मीद उस दिन की, जब सड़क बनेगी… जब एम्बुलेंस वक़्त पर आएगी… जब जीवन और मृत्यु के बीच का यह दलदली फासला खत्म होगा। लेकिन सवाल अब भी वही है — “आख़िर कब?”

