* नरेगा के नाम पर मुनुनद में ‘हरियाली घोटाला’! पौधरोपण के नाम पर करोड़ों की बंदरबांट, न पौधे दिखे, न जिम्मेदार! राज्य और केंद्र में जाएगी शिकायत *

धरमजयगढ़, रायगढ़ (छत्तीसगढ़)।
छत्तीसगढ़ की धरती एक बार फिर घोटालों की गवाही दे रही है। जनपद पंचायत धरमजयगढ़ अंतर्गत ग्राम पंचायत मुनुनद में पौधरोपण के नाम पर करोड़ों रुपये की खुली लूट का मामला सामने आया है। मनरेगा, वन विभाग और सेरीकल्चर के समन्वय से बीते कुछ वर्षों में गांव को हरियाली से भर देने के दावे तो ज़ोर-शोर से किए गए, लेकिन जमीनी सच्चाई देखी जाए तो यह सब सिर्फ़ कागज़ी हरियाली निकली।

कागज़ों में लाखों पौधे, हकीकत में वीरान नर्सरी!
आंकड़ों की माने तो बीते तीन-चार सालों में लाखों पौधे तैयार कर रोपे गए। लेकिन जब हमारी टीम ने मौके पर पहुंचकर पड़ताल की, तो स्थानीय नर्सरी में केवल 30 से 40 हजार पौधे ही नजर आए। बाकी के पौधे कहीं ‘गायब’ हैं – या शायद कभी अस्तित्व में ही नहीं थे।

‘हरियाली’ के नाम पर हज़ारों की दिहाड़ी, पर मस्टर रोल ही ग़ायब!
मनरेगा के तहत हुए इन कार्यों में लाखों रुपये का भुगतान किया जा चुका है। लेकिन हैरत की बात ये है कि कई कार्यों के मस्टर रोल ही उपलब्ध नहीं हैं। यानि जिन मजदूरों ने काम किया, वे कौन थे, कितने थे – यह तक साबित नहीं किया जा सकता।

जिम्मेदार चुप, विभागों का खेल ‘तू डाल-मैं छांव’
जब पंचायत सचिव से जवाब मांगा गया, तो वे चुप्पी साध गए। रोजगार सहायक ने भी टालमटोल कर स्थिति को और संदिग्ध बना दिया। वन विभाग सेरिकल्चर रायगढ़ के पौधरोपण को भी अपना बताने में लगा रहा और जब मीडिया की टीम उद्यान रोपणी पहुंची, तो वहां कोई अधिकारी मौजूद ही नहीं था , और स्थानीय ग्रामीणों के भरोसे उद्यान रोपणी को छोड़ दिया गया था !

सिर्फ सरपंच मौजूद रहे, उन्होंने भी पल्ला झाड़ा
ग्राम पंचायत के नवनिर्वाचित सरपंच मौके पर मौजूद तो रहे, लेकिन उन्होंने साफ कहा कि वे पिछले वर्षों के कार्यों की जानकारी से अनभिज्ञ हैं। यानि पूरी पंचायत में एक भी व्यक्ति नहीं मिला जो यह बता सके कि लाखों पौधे कहां गए!

अब यह मामला सीधे राज्य और केंद्र सरकार के संबंधित विभागीय मंत्रालयों तक ले जाने की तैयारी में हैं। ग्रामीण विकास मंत्रालय, पर्यावरण मंत्रालय और मनरेगा निदेशालय को जल्द ही विस्तृत शिकायत भेजी जाएगी, जिसमें दस्तावेज़ी साक्ष्य, स्थानीय निरीक्षण रिपोर्ट और अधिकारियों की चुप्पी को आधार बनाया जाएगा।

यह कोई छोटी मोटी गड़बड़ी नहीं — यह जनता के पैसों का शोषण है!
हरियाली के नाम पर जो खेल खेला गया है, वह सिर्फ एक पंचायत की कहानी नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम को कटघरे में खड़ा करता है। सवाल यह नहीं है कि पौधे लगे या नहीं, सवाल यह है कि क्या जनता के टैक्स से जुटाया गया पैसा इस तरह हवा में उड़ाया जाएगा?


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