*माँ के दरबार में श्रद्धा का संगम, भक्ति की रोशनी से आलोकित हुआ धाम *

धरमजयगढ़ – चैत्र नवरात्रि के पावन अवसर पर भक्तों का अपार सैलाब माँ अंबे के दरबार में उमड़ पड़ा। आस्था और भक्ति के दीपों से मंदिर प्रांगण आलोकित हो उठा, और हर ओर ‘जय माता दी’ के जयकारों की गूंज सुनाई देने लगी।

माँ अंबे दरबार अम्बेटिकरा, पूंजी पथरा और सिसरिंगा माँ बंजारी मंदिर सहित क्षेत्र के सभी देवी मंदिर भक्तों से भरे नजर आए। श्रद्धालु माँ के चरणों में अपनी आस्था अर्पित कर रहे हैं, और भजन-कीर्तन से वातावरण भक्तिमय हो गया है। माँ के दरबार में श्रद्धा का संगम: एक आध्यात्मिक यात्रा
चैत्र नवरात्रि का पावन पर्व आते ही संपूर्ण धरा भक्ति और श्रद्धा के रंगों में रंग जाती है। आस्था की ज्योत जल उठती है, और आत्मा माँ भगवती की शरण में अपने संपूर्ण अहंकार को विसर्जित कर देती है। इस दिव्य कालखंड में हर मंदिर एक आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र बन जाता है, जहाँ भक्तगण तन-मन से माँ के चरणों में अपनी भक्ति अर्पित करने उमड़ पड़ते हैं।

भक्ति और आराधना का संगम
माँ अंबे के दरबार में श्रद्धालु प्रातःकाल से ही लंबी कतारों में खड़े होकर माँ के दर्शन हेतु व्याकुल हो उठते हैं। ‘जय माता दी’ के उद्घोष से गूंजता परिसर भक्तों को एक अलौकिक अनुभूति कराता है। वहीं सिरसागंज में माँ बंजारी मंदिर भी भक्तों और लोक परंपराओं का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है।

दोनों नवरात्रों में हजारों की संख्या में जलते अखंड ज्योति एवं भोग-प्रसाद से मंदिर प्रांगण आध्यात्मिक ऊर्जा से भर जाता है। माँ बंजारी मंदिर में भजन-कीर्तन की गूंज से संपूर्ण वातावरण भक्तिमय हो जाता है। श्रद्धालु माँ से अपने कष्टों का निवारण मांगते हैं, और माँ अपनी करुणा से सबका आशीर्वाद देती हैं।

श्रद्धा की अग्निपरीक्षा और माँ का चमत्कार
एक भक्तिन के शब्दों में, “माँ का आशीष जब मिलता है, तब जीवन की हर बाधा भी अवसर बन जाती है।” यह वाक्य माँ के अनंत आशीर्वाद की शक्ति को प्रतिबिंबित करता है। परीक्षा और परीक्षाओं के पश्चात भक्तों में माँ के प्रति श्रद्धा और बढ़ती जाती है। मंदिर समितियाँ विशेष प्रबंध कर रही हैं ताकि भक्तों को किसी भी तरह की असुविधा ना हो।

नवरात्रि: भक्ति और आत्मशुद्धि का पर्व
नवरात्रि का यह पर्व केवल धार्मिक उपासना का प्रतीक मात्र नहीं है, बल्कि यह आत्मिक शुद्धि और जीवन के प्रत्येक संघर्ष को माँ की कृपा से सरल करने का संदेश भी देता है। माँ के चरणों में समर्पित यह श्रद्धा भाव हमें सिखाता है कि जब विश्वास अडिग हो और भक्ति निष्कलंक, तब जीवन का हर क्षण एक तपस्या बन जाता है।

“शरण में जो आ जाए, माँ उसकी लाज निभाती है,
भक्त की झोली खुशियों से भर, कटुता के हर ले जाती है।”

जय माता दी!

अंबे दरबार का ऐतिहासिक महत्व इसे और भी खास बनाता है। माना जाता है कि इसकी नींव जन्म-ज्योतिष के तालमेल से रखी गई थी, जो इसे दिव्य शक्तियों का अद्भुत संगम बनाती है। यह मंदिर केवल पत्थरों की जुड़ाई नहीं, बल्कि भक्तों की श्रद्धा और अद्वितीय चमत्कारों की गाथा कहता है।

नवरात्रि के इस पावन पर्व पर मंदिर समितियों द्वारा विशेष प्रबंध किए गए हैं, जिससे भक्तों को सुगम दर्शन का लाभ मिल सके। माँ के चरणों में सिर झुकाते ही मानो सारी पीड़ाएं समाप्त हो जाती हैं और भक्तों के जीवन में एक नई ऊर्जा संचारित होती है।


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