
* अब दिल्ली के जंतर मंतर में होगा छत्तीसगढ़ के ग्राम पंचायत सचिवों का आंदोलन *
ग्राम पंचायत सचिवों की उम्मीद टूटी, अब दिल्ली कूच की तैयारी धरमजयगढ़ के सचिव संघ ने दी आंदोलन तेज करने की चेतावनी
धरमजयगढ़ – छत्तीसगढ़ के ग्राम पंचायत सचिवों की शासकीयकरण की मांग पर अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है। सचिव संघ ने सरकार को 31 मार्च तक का अल्टीमेटम दिया था, लेकिन समय सीमा समाप्त होने के बावजूद (आज आखरी दिन तक) फिलहाल कोई सकारात्मक घोषणा नहीं हुई है सचिवों को उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 30 मार्च को बिलासपुर दौरे के दौरान उनकी मांग को लेकर कोई सकारात्मक घोषणा करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इससे निराश पंचायत सचिव संघ ने अब दिल्ली कूच करने की तैयारी कर ली है। जहाँ जंतर मंतर में धरना प्रदर्शन कर अपनी एक सूत्रीय मांग को लेकर आवाज बुलंद करेंगे !
17 मार्च से जारी है अनिश्चितकालीन हड़ताल
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के पंचायत सचिव 17 मार्च से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। उनकी प्रमुख मांग शासकीयकरण को लेकर है, जिससे वे लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। सचिवों का कहना है कि वे पंचायत स्तर पर प्रशासन की रीढ़ हैं और ग्रामीण विकास में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। लेकिन बार-बार आश्वासन मिलने के बावजूद सरकार ने अब तक उनकी मांग को पूरा नहीं किया।
धरमजयगढ़ में सचिव संघ का सख्त रुख
धरमजयगढ़ के पंचायत सचिव संघ ने भी इस आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है। हड़ताल के कारण धरमजयगढ़ क्षेत्र में पंचायतों का पूरा कामकाज ठप पड़ा है। मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना, पेंशन, राशन कार्ड जैसी तमाम योजनाओं पर असर पड़ा है, जिससे ग्रामीण जनता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
धरमजयगढ़ सचिव संघ के नेताओं का कहना है कि सरकार उनकी मांगों को लगातार नजरअंदाज कर रही है। संघ के अध्यक्ष कैलाश नारायण यादव ने कहा, “अगर हमारी मांगों को जल्द से जल्द पूरा नहीं किया गया, तो हमारा आंदोलन और उग्र होगा। रायपुर में सचिव संघ का महासम्मेलन होगा, जिसमें आगामी रणनीति तय की जाएगी।”
सरकार की चुप्पी, सचिवों का बढ़ता आक्रोश
सचिव संघ का कहना है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पूर्व में शासकीयकरण के संबंध में एक कमेटी बनाने की घोषणा की थी, लेकिन अब तक इसका कोई ठोस परिणाम नहीं निकला। वहीं, प्रधानमंत्री मोदी से भी पंचायत सचिवों को बड़ी उम्मीद थी कि वे कुछ घोषणा करेंगे, लेकिन उनकी यात्रा के दौरान इस मुद्दे पर कोई बात नहीं हुई।
अब पंचायत सचिव संघ ने अपनी हड़ताल को और तेज करने का निर्णय लिया है। रायपुर कूच की तैयारी पूरी हो चुकी है, जहां वे बड़े आंदोलन की योजना बना रहे हैं। यदि सरकार जल्द कोई निर्णय नहीं लेती, तो यह हड़ताल और बड़ा रूप ले सकती है।
ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ी परेशानियां
हड़ताल के कारण पंचायतों में सभी प्रकार के कार्य बाधित हो गए हैं। ग्रामीणों को जन्म प्रमाण पत्र, राशन कार्ड, आय प्रमाण पत्र, आवासीय प्रमाण पत्र जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए भटकना पड़ रहा है। वहीं, मनरेगा मजदूरों का भुगतान भी रुका हुआ है, जिससे वे आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि पंचायत सचिवों के इस आंदोलन को सरकार किस तरह से हल करती है। क्या सरकार उनकी मांगों पर विचार करेगी, या फिर सचिव संघ को और बड़ा आंदोलन करना पड़ेगा? यह आने वाले दिनों में साफ होगा। फिलहाल, सचिव संघ का आंदोलन तेज होने से राज्य की पंचायती व्यवस्था पर गहरा असर पड़ रहा है।