*करोड़ों का महाघोटाला: भारतमाला परियोजना में भ्रष्टाचार का खुलासा, अफसर-व्यापारी गठजोड़ बेनकाब *

रायपुर: भारतमाला परियोजना के तहत भूमि अधिग्रहण में एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। जाँच में सामने आया है कि केवल ₹35 करोड़ के मुआवजे की पात्रता होने के बावजूद, नियमों को ताक पर रखकर ₹248 करोड़ बाँट दिए गए। इस अनियमितता के कारण सरकार को ₹213 करोड़ का सीधा नुकसान हुआ है। इस घोटाले में सरकारी अधिकारियों और रसूखदार व्यापारियों की मिलीभगत का खुलासा हुआ है।
कैसे हुआ घोटाला?
सूत्रों के अनुसार, रायपुर-विशाखापट्टनम एक्सप्रेसवे के लिए भूमि अधिग्रहण में एक सुनियोजित साजिश रची गई। सरकारी नियमों के मुताबिक, यदि ग्रामीण क्षेत्र में कोई प्लॉट 500 वर्गमीटर से छोटा हो, तो उसे अधिक मुआवजा दिया जाता है। इसी नियम का फायदा उठाते हुए, 32 बड़े प्लॉट्स को 142 छोटे टुकड़ों में बाँट दिया गया, जिससे मुआवजा ₹35 करोड़ से सीधा ₹326 करोड़ तक पहुँच गया।
जब ₹78 करोड़ के अतिरिक्त दावे की फाइल आगे बढ़ी, तो NHAI अधिकारियों को संदेह हुआ और मामला उजागर हो गया। उच्चस्तरीय जाँच शुरू होते ही घोटाले की परतें खुलने लगीं।
अधिकारियों की संलिप्तता: किसका क्या रोल?
जाँच रिपोर्ट के अनुसार, इस घोटाले में कई सरकारी अफसरों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। इनमें तत्कालीन एसडीएम सूरज साहू, निर्भय साहू और तहसीलदार शशिकांत कुर्रे के नाम प्रमुख रूप से सामने आए हैं। आरोप है कि इन अधिकारियों ने नियमों को ताक पर रखकर मुआवजे का गबन किया।
हालाँकि, पूर्व एसडीएम निर्भय साहू ने पल्ला झाड़ते हुए कहा कि वे अक्टूबर 2020 में पदस्थ हुए थे और यह अनियमितताएँ उनके कार्यभार सँभालने से पहले हो चुकी थीं। उन्होंने तहसीलदार शशिकांत कुर्रे की ओर इशारा किया, जिनके कार्यकाल में यह गड़बड़ी हुई।
विधानसभा में हंगामा, सरकार पर विपक्ष का हमला
यह मामला विधानसभा में भी गूँजा। नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने सरकार से तीखे सवाल पूछे:
32 प्लॉट के 142 टुकड़े आखिर किसके हैं?
जाँच रिपोर्ट आने के बावजूद दोषियों पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
सरकार भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने की कोशिश क्यों कर रही है?
इन सवालों पर राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा निरुत्तर नजर आए। विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार मामले को दबाने की कोशिश कर रही है। इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने मंत्री को निर्देश दिया कि महंत को पूरी रिपोर्ट सौंपें।
अब क्या होगा? कार्रवाई या लीपापोती?
इस महाघोटाले के खुलासे के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। केंद्र सरकार भी इस मामले पर नजर बनाए हुए है। जाँच रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी गई है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि –
क्या दोषी अधिकारियों और व्यापारियों पर सख्त कार्रवाई होगी?
या यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह फाइलों में दबा दिया जाएगा?
सरकार पर बढ़ते दबाव के बीच यह देखना दिलचस्प होगा कि भ्रष्टाचार के इस बड़े खेल का अंत कब और कैसे होगा। 











