आदिवासी बच्चों की अंतरिक्ष यात्रा: जशपुर में 800 छात्रों ने बनाया पहला रॉकेट, अब नैनो सैटेलाइट की तैयारी

जशपुर: आदिवासी बाहुल्य जशपुर जिला अब विज्ञान और नवाचार की नई ऊंचाइयों को छू रहा है। जिले के 800 आदिवासी छात्रों ने मिलकर एक सफल रॉकेट तैयार किया, जिसे 30 सेकंड तक हवा में उड़ाने का सफल परीक्षण भी किया गया। इस ऐतिहासिक उपलब्धि के बाद अब ये छात्र नैनो सैटेलाइट लॉन्च करने की तैयारी में जुटे हैं।
विज्ञान की ओर कदम बढ़ाते आदिवासी बच्चे
सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 8वीं और 9वीं कक्षा के इन छात्रों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया। वैज्ञानिक रुचि रखने वाले छात्रों को अलग से चुना गया और उन्हें स्कूल समय के बाद आठ घंटे की रॉकेट्री वर्कशॉप में प्रशिक्षण दिया गया। छात्रों ने विभिन्न समूहों में मिलकर छोटे-छोटे रॉकेट बनाए, जिनमें से एक ने 100 फीट की ऊंचाई तक उड़ान भरी। इसके बाद, सभी ने मिलकर 10 फीट लंबा एक बड़ा रॉकेट तैयार किया और उसका भी सफल प्रक्षेपण किया।
इसरो के वैज्ञानिकों का मार्गदर्शन
बच्चों को अंतरिक्ष विज्ञान की बारीकियों से अवगत कराने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वैज्ञानिकों का सहयोग लिया गया। इसरो के वैज्ञानिक डॉ. श्रीनिवास को बुलाकर छात्रों को सैटेलाइट कम्युनिकेशन और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की जानकारी दी गई। समय-समय पर स्टार गेजिंग वर्कशॉप का आयोजन भी किया जाता है, जिससे छात्र टेलीस्कोप के माध्यम से तारों और खगोलीय घटनाओं को समझ सकें।
नैनो सैटेलाइट की तैयारी
रॉकेट के सफल प्रक्षेपण के बाद अब ये छात्र नैनो सैटेलाइट निर्माण की ओर बढ़ रहे हैं। जिला प्रशासन की अन्वेषण नवाचार पहल के तहत, छात्रों को सैटेलाइट टेक्नोलॉजी की बुनियादी जानकारी दी जा रही है। यह पहल न केवल छात्रों को अंतरिक्ष विज्ञान में आगे बढ़ने के अवसर प्रदान कर रही है, बल्कि जशपुर को विज्ञान और नवाचार का नया केंद्र बना रही है।
सफलता के पीछे कलेक्टर की पहल
इस बदलाव के पीछे जशपुर के कलेक्टर रोहित व्यास की अहम भूमिका रही है। 2017 बैच के आईएएस अधिकारी रोहित व्यास बचपन से ही विज्ञान में रुचि रखते थे और छात्रों को प्रयोग आधारित शिक्षा देने में विश्वास रखते हैं। उनकी पहल से जिले के सरकारी स्कूलों में अंतरिक्ष विज्ञान को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए गए हैं।
जशपुर के आदिवासी बच्चों द्वारा रॉकेट निर्माण और सफल प्रक्षेपण न केवल जिले बल्कि पूरे देश के लिए गर्व की बात है। इस पहल से यह साबित हो रहा है कि सही दिशा और मार्गदर्शन मिलने पर ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे भी विज्ञान और अंतरिक्ष के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। अब यह देखना रोचक होगा कि ये छात्र अपने नैनो सैटेलाइट लॉन्च की योजना को कब और कैसे साकार करते हैं।


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