निर्दलीय रविंद्र राय की धमक से त्रिकोणीय हो सकता है, नगर पंचायत अध्यक्ष का चुनाव

धरमजयगढ़ नगर पंचायत चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी रविंद्र राय की दावेदारी मुकाबले को दिलचस्प बना सकती है। पूर्व में वार्ड पार्षद और एल्डरमैन रह चुके रविंद्र राय का अनुभव और उनकी समाज विशेष में मजबूत पकड़ उन्हें एक बार फिर से चुनावी दौड़ में मजबूती दे रही है।
विगत नगरीय निकाय चुनाव में पार्षद चुनाव के लिये निर्दलीय रविंद्र राय के प्रतिद्वंदी जीत लगभग तय मानी जा रही थी, लेकिन जब नतीजे आए, तो रविंद्र राय ने बड़े अंतर से जीत दर्ज कर सभी को चौंका दिया था । इस बार भी निर्दलीय उम्मीदवार होने के कारण उन्हें कमतर आंका जा रहा है, लेकिन उनका जनाधार और समाज विशेष में पकड़ को देखते हुए नतीजे फिर से चौंकाने वाले हो सकते हैं। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि रविंद्र राय या उनके परिजनों को कुछ चुनाओं में हार का सामना भी करना पड़ा है, लेकिन उनका वोट प्रतिशत कभी भी कम नहीं रहा है,यह बताता है कि मतदाताओं को साधने में माहिर रविंद्र राय का जनाधार हमेंशा परिणामों को प्रभावित या परिवर्तित करने वाला साबित हुआ है!
धरमजयगढ़ नगर पंचायत चुनाव में इस समाज के वोट निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। समाज विशेष से ही आने वाले अनिल सरकार को रविंद्र राय के खिलाफ कड़ी टक्कर मिल सकती है। उनकी जीत का सफर आसान नहीं होगा, क्योंकि समाज के कई वर्गों में रविंद्र राय की गहरी पैठ है।
रविंद्र राय: अपने पिछले प्रदर्शन और समुदाय में पकड़ के आधार पर मजबूत स्थिति में।
अनिल सरकार: समाज से ताल्लुक रखने के कारण समर्थन मिलने की संभावना, लेकिन रविंद्र राय की पकड़ चुनौती बन सकती है।
निर्दलीय प्रत्याशी को आमतौर पर कमजोर आंका जाता है, लेकिन रविंद्र राय के पिछले नतीजे इस धारणा को गलत साबित कर चुके हैं।
अगर इस समाज विशेष के वोटों का विभाजन हुआ, तो यह मुकाबला और भी रोचक हो जाएगा। ऐसे में रविंद्र राय एक बार फिर अध्यक्ष पद के लिए चौंकाने वाले नतीजे ला सकते हैं। हालांकि कुछ राजनैतिक जानकारों का कहना है कि भाजपा रविन्द्र राय को अपने खेमे में लाने की कोशिश कर सकती है औऱ वो इसमें कामयाब भी हो सकती है,अगर ऐसा होता है, तो भाजपा प्रत्याशी की जगह कांग्रेस प्रत्याशी को नाकों चने चबाना पड़ सकता है ! नाम वापसी की अंतिम तारीख 31 जनवरी है, ऐसे में रविंद्र राय के अगले कदम का सबको बेसब्री से इंतज़ार है!