फैल रहा दावानल , बुझाने वाला कोई नहीं…! वन विभाग की तैयारियाँ धरी की धरी रह गईं !

धरमजयगढ़: हरे-भरे जंगलों को आग की लपटों से बचाने के लिए हर साल वन विभाग बड़े-बड़े दावे करता है, लेकिन इस बार भी सारी तैयारियाँ धरी की धरी रह गईं। धरमजयगढ़ वनमंडल क्षेत्र में भीषण आग ने विकराल रूप ले लिया है, लेकिन इसे बुझाने वाला कोई नजर नहीं आ रहा। सवाल यह उठता है कि जब प्रशासन पहले से आग रोकने की तैयारियों का दावा करता है, तो फिर जंगल धू-धू कर क्यों जल रहा है?
वन विभाग ने इस बार भी आग से निपटने के लिए जगह-जगह फायर वॉचर्स की तैनाती की थी, लेकिन हकीकत यह है कि जब आग लगी, तो उसे काबू पाने के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए गए। जंगल में लगी आग से सैकड़ों वन्यजीवों का जीवन खतरे में पड़ गया है, वहीं लाखों पेड़ जलकर राख हो रहे हैं।
वन विभाग की लापरवाही या संसाधनों की कमी?
हर साल वन विभाग जंगल को आग से बचाने के लिए योजनाएँ बनाता है, लेकिन जब वास्तविकता की बारी आती है, तो वही पुरानी कहानी दोहराई जाती है—”जल रहा जंगल, बुझाने वाला कोई नहीं।” क्या यह केवल दिखावे की तैयारियाँ थीं? या फिर प्रशासन के पास आग बुझाने के पर्याप्त संसाधन ही नहीं हैं?
प्रशासन की चुप्पी खतरनाक
स्थानीय लोगों का कहना है कि आग लगने की घटनाओं के बावजूद वन विभाग सक्रिय नजर नहीं आता। आग फैलने के बाद जब हालात बेकाबू हो जाते हैं, तब जाकर प्रशासन हरकत में आता है। यह सुस्त रवैया जंगलों को नष्ट करने में बड़ी भूमिका निभा रहा है।
अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस भीषण आग को बुझाने के लिए ठोस कदम उठाता है या फिर हर बार की तरह कागजी कार्यवाही में ही सिमट कर रह जाता है। लेकिन एक बात तो साफ है—अगर समय रहते इसे नहीं रोका गया, तो धरमजयगढ़ का हराभरा जंगल केवल राख के ढेर में तब्दील होकर रह जाएगा! 














