* धरमजयगढ़ की स्ट्रीट लाइटें : “खंभों पर टंगी उम्मीदें, अंधेरे में बुझी जिम्मेदारियां”*

धरमजयगढ़। – नगर पंचायत क्षेत्र की गलियों और चौक-चौराहों पर लगे बिजली के खंभे इन दिनों जैसे आपस में गुपचुप बातचीत कर रहे हैं –
“भाई, तू जल रहा है क्या? नहीं… तो चलो, दोनों अंधेरे में आराम करते हैं।”


जी हाँ, लाखों रुपए खर्च कर लगाई गई ये स्ट्रीट लाइटें अभी से अपनी हकीकत बयां कर रही हैं। हालत यह है कि हर तीसरे खंभे पर लगी बत्तियाँ ऐसे मुँह फुलाए बैठी हैं जैसे कोई बारात में बुलाया तो गया हो, पर नाचने का मौका न मिला हो।

कहानी यहीं खत्म नहीं होती। नगर पंचायत के जिम्मेदारों से पूछिए तो उनका जवाब बड़ा ही मासूम होता है –
“अभी पूरी तरह से चालू नहीं हुआ है, बीच-बीच की लाइट जल रही हैं।”


अब भला, कोई उनसे पूछे कि क्या नगर पंचायत ने “सांप-सीढ़ी वाला ठेका” किया है, जिसमें एक छोड़कर एक लाइट जलने का ठेका दिया गया है?

और मज़े की बात तो ये है कि विपक्ष भी इस मामले में ऐसे चुप है जैसे उन्हें भी इन लाइटों से फ्री बिजली मिल रही हो। आम जनता की हालत यह है कि अंधेरे में घर लौटते वक्त अब लोग टॉर्च को ही सबसे विश्वसनीय “जनप्रतिनिधि” मान बैठे हैं, शुक्र है कि मोबाइल कम्पनियां फोन में टॉर्च की सुविधा देती हैँ ।सार यही है कि लाखों की लाइटें “जलने” से पहले ही “कुढ़ने” लगीं, जिम्मेदारों की जिम्मेदारी “जलने” से पहले ही “बुझ” गई, और विपक्ष की आवाज़ शायद “बल्ब के साथ ही फ्यूज़” हो गई।

👉 कुल मिलाकर नगर पंचायत की ये स्ट्रीट लाइटें अब खुद ही व्यंग्य बनकर राहगीरों का मजाक उड़ा रही हैं। 🔥🔥🔥दो ठेकेदारों ने लिया है ठेका – सीएमओ भरत लाल साहू – इस मामले में जब मुख्य नगरपालिका अधिकारी से पूछा गया तो उनका कहना था कि एक ठेकेदार ने वायरिंग का काम नहीं किया है इसलिये कुछ लाइटँ नहीं जल रही हैं एक दो दिन में पूरा होने की उम्मीद है , मैं इसे जल्द पूरा करने को कहता हूँ !


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