* अव्यवस्था की मार झेलते स्कूली बच्चे, मंच पर विराजे नेता – जमीन पर हुआ पूरा कार्यक्रम *

धरमजयगढ़। – स्वतंत्रता दिवस जैसे गौरवपूर्ण अवसर पर जहां बच्चों को सम्मान और सुविधा मिलनी चाहिए थी, वहां वे अव्यवस्था की मार झेलते नजर आए। 15 अगस्त के कार्यक्रम में धरमजयगढ़ के मंच पर नेताओं और
कार्यकर्ताओं के लिए आरामदायक कुर्सियों की पंक्तियां सजी थीं, जबकि कार्यक्रम की असली जान – स्कूली बच्चे – जमीन पर बैठकर और खड़े होकर प्रस्तुति देने को मजबूर थे।
व्यवस्था ऐसी थी कि कार्यक्रम देखने आए कुछ बच्चे और दर्शक आगे खड़े हो गए, जिससे पीछे बैठे लोगों को दृश्य तक नहीं दिखा। लोग गर्दन ऊँची कर और इधर-उधर खिसककर कार्यक्रम देखने की मशक्कत करते रहे।
हैरानी की बात यह रही कि जिन बच्चों ने मंच पर आकर कार्यक्रम में जान डालनी थी, वे कुर्सियों पर खड़े होकर कार्यक्रम देखने को मजबूर थे। यह स्थिति न केवल असुविधाजनक बल्कि खतरनाक भी थी—अगर कोई बच्चा गिर जाता, तो हादसा तय था।

दृश्य देखकर साफ लग रहा था कि मंच नेताओं की शान बढ़ाने के लिए आरक्षित था, जबकि बच्चों को पीछे धकेल दिया गया। और सबसे चिंताजनक पहलू—नेताओं ने बच्चों की परेशानी देखकर भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया। उल्टा, मंच से बार-बार बच्चों को नीचे उतरने के लिए कहा जाता रहा।धरमजयगढ़ का यह आयोजन यह सवाल छोड़ गया कि क्या हमारे उत्सवों का मकसद वास्तव में भावी पीढ़ी को सम्मान देना है, या फिर केवल नेताओं की कुर्सियां भरना?















