*धरमजयगढ़ की बेटी मोंगरा राठिया ने रचा इतिहास, यूजीसी नेट परीक्षा उत्तीर्ण कर आदिवासी समाज का नाम किया रोशन गांव की मिट्टी से निकली सफलता की खुशबू, परिवार व गुरुजनों ने दी शुभकामनाएं*

धरमजयगढ़ – “सपनों की उड़ान को हौसले की ताकत मिल जाए, तो कोई भी मंज़िल नामुमकिन नहीं होती।” इस कथन को चरितार्थ किया है धरमजयगढ़ ब्लॉक के छोटे से ग्राम आमगांव की प्रतिभावान आदिवासी छात्रा कुमारी मोंगरा राठिया ने, जिन्होंने कठिन परिश्रम, संकल्प और संघर्ष के बल पर यूजीसी-नेट (NET) परीक्षा उत्तीर्ण कर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है।
साधारण किसान परिवार से असाधारण सफलता तक का सफर
एक साधारण किसान परिवार में जन्मी मोंगरा राठिया के लिए यह यात्रा आसान नहीं थी। उनके पिता श्री जगमोहन राठिया और माता श्रीमती आत्मा बाई राठिया अपनी बेटी की इस सफलता पर गर्व महसूस कर रहे हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति सामान्य होने के बावजूद, उन्होंने कभी अपने सपनों से समझौता नहीं किया और पूरी निष्ठा से अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में जुटी रहीं।
* स्थानीय महाविद्यालय मे की पढ़ाई *
मोंगरा राठिया ने शासकीय महाविद्यालय, धरमजयगढ़ से स्नातक (बीए) की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद, उन्होंने शासकीय एम.जी. महाविद्यालय, खरसिया से एमए (हिन्दी) की डिग्री प्राप्त की। अपनी लगन और कठिन परिश्रम के दम पर उन्होंने यूजीसी-नेट परीक्षा उत्तीर्ण कर शिक्षण और शोध क्षेत्र में अपने उज्जवल भविष्य की ओर कदम बढ़ाया है।
राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) की सक्रिय सदस्य
केवल शिक्षा के क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि मोंगरा राठिया सामाजिक सेवा कार्यों में भी सक्रिय रही हैं। उन्होंने राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) के तहत “बी” प्रमाण पत्र अर्जित किया है और विभिन्न सामाजिक गतिविधियों में बढ़-चढ़कर भाग लिया। यह प्रमाणित करता है कि वे न केवल एक मेधावी छात्रा हैं, बल्कि समाज के प्रति अपने दायित्वों को भी बखूबी निभाती हैं।
शिक्षकों और शुभचिंतकों ने दीं शुभकामनाएं
मोंगरा राठिया की इस सफलता पर शासकीय महाविद्यालय, धरमजयगढ़ के प्राध्यापकों ने उन्हें शुभकामनाएं दीं। उन्होंने आशीर्वाद स्वरूप यह संदेश दिया कि मेहनत, लगन और दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर हर विद्यार्थी अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है।
गांव में खुशी की लहर, युवाओं को मिली प्रेरणा
मोंगरा राठिया की सफलता से उनके परिवार, गांव और शुभचिंतकों में हर्ष की लहर दौड़ गई है। यह उपलब्धि न केवल उनके परिवार के लिए बल्कि धरमजयगढ़ क्षेत्र के सभी विद्यार्थियों और खासकर आदिवासी समाज के लिए एक प्रेरणा है कि शिक्षा के माध्यम से हर कठिनाई को पार किया जा सकता है।