जलभराव से त्रस्त महिलाएँ पहुँचीं लोक निर्माण विभाग, अधिकारियों की बेरुखी से नाराज़

धरमजयगढ़ – बरसात के पानी में डूबे घर, सड़कों पर बहता गंदा पानी, और प्रशासन की चुप्पी—धरमजयगढ़ के वार्ड क्रमांक 03 की महिलाओं ने जब अपनी इस विकट समस्या को लेकर लोक निर्माण विभाग का दरवाजा खटखटाया, तो उन्हें उम्मीद थी कि समाधान मिलेगा। लेकिन उन्हें जो जवाब मिला, उसने न केवल उनकी पीड़ा को और बढ़ाया, बल्कि सरकारी तंत्र की उदासीनता को भी उजागर कर दिया।

अधिकारियों की गैर-मौजूदगी, केवल ‘आवेदन छोड़ दें’ का जवाब
परेशान महिलाएँ लोक निर्माण विभाग कार्यालय पहुँचीं, लेकिन वहाँ कोई जिम्मेदार अधिकारी नहीं मिला। फोन पर संपर्क करने पर विभागीय इंजीनियर ने बस इतना कहा—”आवेदन छोड़ दीजिए!” यही नहीं, कार्यालय में मौजूद एक कर्मचारी ने आवेदन लेकर खानापूर्ति कर दी, पर समाधान की कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया गया।

नाली निर्माण नहीं हुआ, तो होगा बड़ा विरोध
महिलाओं का कहना है कि जलभराव की समस्या उनकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी को प्रभावित कर रही है। घरों में गंदा पानी भर जाने से बीमारियों का खतरा भी बढ़ रहा है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि सोमवार तक नाली निर्माण कार्य शुरू नहीं किया गया, तो वे इस समस्या को लेकर उच्च अधिकारियों तक जाएँगी और यदि तब भी समाधान नहीं मिला, तो वे स्वयं नाली खुदवाने की पहल करेंगी।

लोक निर्माण विभाग पर सवाल
धरमजयगढ़ के लोक निर्माण विभाग की इस निष्क्रियता ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है—क्या यह विभाग सिर्फ नाम का रह गया है? आम जनता को मूलभूत सुविधाएँ देने में विफल प्रशासन की कार्यशैली पर स्थानीय लोगों में रोष बढ़ता जा रहा है।

अब देखना यह होगा कि विभाग इन शिकायतों को गंभीरता से लेता है या फिर यह समस्या अन्य समस्याओं की तरह अधर में लटकी रह जायेगी , कहाँ गई नाली? सड़क बनी, मगर नाली गुम!
धरमजयगढ़ के वार्ड क्रमांक 03 में जलभराव की समस्या ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है—”आखिर यह नाली गई कहाँ?” सड़क तो बना दी गई, मगर पानी निकासी की कोई व्यवस्था नहीं की गई। यह लापरवाही है, गलती है, या फिर भ्रष्टाचार का कोई और खेल?

सड़क बनी, पर नाली का अता-पता नहीं
स्थानीय निवासियों का कहना है कि जब सड़क बनाई गई, तब नाली निर्माण की कोई योजना नहीं रखी गई, या फिर इसे जानबूझकर नजरअंदाज किया गया। परिणामस्वरूप, बारिश होते ही पूरा इलाका जलमग्न हो जाता है, और घरों में गंदा पानी घुसने लगता है।

क्या नाली कागजों में ही बना दी गई?
लोगों का आरोप है कि शायद नाली का निर्माण रिकॉर्ड में दिखा दिया गया हो, लेकिन वास्तविकता में ऐसा कुछ नजर नहीं आता। अगर निर्माण हुआ होता, तो जलभराव की यह स्थिति ही न बनती। सवाल यह भी उठता है कि क्या ठेकेदार और संबंधित अधिकारियों की मिलीभगत से नाली निर्माण को नजरअंदाज किया गया?


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