* कागजों में बन गई सड़कें ? साइन बोर्ड गाड़ दिए, सड़कें गायब! *

धरमजयगढ़ –
छत्तीसगढ़ के जनपद पंचायत धरमजयगढ़ के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायतों में सड़क निर्माण के नाम पर सरकारी धन का दुरुपयोग और कामचलाऊ रवैये का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। “मुख्यमंत्री समग्र ग्राम विकास योजना” के तहत स्वीकृत लाखों रुपये की लागत से निर्मित होने वाली सीमेंट-कांक्रीट (सी.सी.) सड़कें धरातल पर कहीं नजर नहीं आतीं। जो थोड़ी बहुत सड़क बनी भी है, वह मात्र खानापूर्ति प्रतीत होती है और निर्माण गुणवत्ता इतनी घटिया है कि वह उपयोग में आने से पहले ही उखड़ने लगी है।
ग्राम पंचायत मुनुनद के कार्य स्थलों पर लगे सरकारी साइनबोर्ड बताते हैं कि इन स्थानों पर सी.सी. रोड निर्माण की स्वीकृति दी गई थी। एक बोर्ड के अनुसार ” कपि घर से नवाडीह” तक सड़क निर्माण होना था, जबकि दूसरे में ” तुर्री तालाब की ओर” सड़क निर्माण का उल्लेख है। दोनों कार्य के लिए क्रमशः 5.20 लाख रुपये की राशि 2023 में स्वीकृत की गई, जिसकी प्रारंभ तिथि 27 जनवरी 2023 और समाप्ति तिथि 2 दिसंबर 2023 बताई गई है।
हालांकि जब जमीनी हकीकत का जायजा लिया गया तो सच्चाई इन दावों से बिलकुल विपरीत निकली। पूरे मार्ग पर केवल 100 से 150 मीटर की सड़क निर्माण की गई है और वह भी टुकड़ों में, जिससे न तो ग्रामीणों को सुगम आवागमन की सुविधा मिल पा रही है, और न ही विकास की भावना पूरी हो रही है। जो निर्माण हुआ है, वह घटिया सामग्री और अधकचरे काम का जीता-जागता उदाहरण है—सड़क पर दरारें, उखड़ी सतह और किनारों का टूट जाना गुणवत्ता की पोल खोलता है।
ग्राम मुनुनद के इन कामों को देखकर लगता है कि सरकार की योजनाएं कागज़ों और साइनबोर्ड तक सीमित रह गई हैं, जबकि उन्हें आज भी कीचड़ और धूलभरे रास्तों पर चलना पड़ रहा है। क्षेत्रीय प्रशासन और पंचायत प्रतिनिधियों में जवाबदेही भी नजर नहीं आ रही है।
यह सवाल अब खड़ा हो गया है कि क्या सरकारी योजनाएं वास्तव में धरातल पर लागू हो रही हैं, या फिर भ्रष्टाचार और लापरवाही की भेंट चढ़ रही हैं? अगर जनहित के कार्यों में इस तरह का लापरवाह व्यवहार अपनाया जाएगा, तो ग्रामीण भारत के विकास की कल्पना अधूरी ही रह जाएगी।
(रिपोर्ट: विशेष संवाददाता, धरमजयगढ़)