* छल से बेच दी किसान की जमीन, वारिसों को किया दरकिनार , उच्चधिकारीयों को की शिकायत , जगी न्याय की उम्मीद! *

धरमजयगढ़ क्षेत्र के बलपेदा गाँव में ज़मीन फर्जीवाड़े का एक बड़ा मामला सामने आया है, जो ना केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि ज़मीन माफिया और सरकारी तंत्र की संभावित मिलीभगत की ओर भी इशारा करता है। किसान सोभन की करीब 8 एकड़ ज़मीन दलालों द्वारा फर्जी तरीके से बेच दी गई, लेकिन हैरानी की बात यह है कि किसान को आज भी यही लगता है कि उसने केवल 2 एकड़ ज़मीन बेची है।

मामले में एक और बड़ा खुलासा ये हुआ है कि ज़मीन के दस्तावेज़ों में पूर्व भूमि स्वामी ढोलीराम की पत्नी और बेटी, जो वैध वारिस हैं, उनके नाम जानबूझकर नहीं जोड़े गए। इससे ज़ाहिर होता है कि ज़मीन बिक्री की प्रक्रिया में भारी दस्तावेज़ी हेरफेर किया गया है, जिससे संपत्ति को गलत तरीके से बेचा जा सके।

कथित तौर पर पहले इस पूरे मामले की शिकायत की गई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब जब ज़मीन के असली वारिसों को इसकी भनक लगी, तो उन्होंने उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उनका आरोप है कि यह कोई साधारण लेनदेन नहीं, बल्कि एक सुनियोजित षड्यंत्र है, जिसमें दलालों ने ज़मीन कब्जाने के लिए रिकॉर्ड से वारिसों के नाम तक गायब करवा दिए।

किसान सोभन, इस बात को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं कि उनकी 8 एकड़ ज़मीन पूरी तरह बिक चुकी है। उनका कहना है कि उन्हें तो यह बताया गया था कि केवल 2 एकड़ ज़मीन बेची गई है।

धरमजयगढ़ क्षेत्र में ऐसे ज़मीन से जुड़े घोटाले अब आम हो चले हैं। एक तरफ़ भोले-भाले किसान हैं, जिनकी जानकारी और समझ का गलत फायदा उठाया जाता है, और दूसरी तरफ़ ज़मीन दलाल और कुछ अधिकारी, जो मिलकर ऐसे कारनामों को अंजाम देते हैं।

अब सवाल उठता है कि क्या प्रशासन इस मामले में दोषियों को सज़ा दिलाने के लिए गंभीर कदम उठाएगा, या फिर यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह फाइलों में दफन होकर रह जाएगा? (यह खबर आगे भी अपडेट की जाती रहेगी)


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