कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा नगर पंचायत ? पानी और सफाई व्यवस्था चरमराई

धरमजयगढ़ नगर पंचायत इन दिनों गंभीर प्रशासनिक अव्यवस्था से जूझ रहा है। गर्मी की शुरुआत होते ही पानी की किल्लत ने आम जनता की परेशानियों को बढ़ा दिया है। नगर में न तो नियमित जल आपूर्ति हो पा रही है और न ही सफाई व्यवस्था सुचारू रूप से संचालित हो रही है। नगर पंचायत में कर्मचारियों की भारी कमी के कारण यह संकट और भी गहरा गया है।

जनता की उम्मीदों पर फिरा पानी
धरमजयगढ़ की जनता ने अपने जनप्रतिनिधियों को इस उम्मीद के साथ चुना था कि वे उनके मूलभूत समस्याओं का समाधान करेंगे, लेकिन वास्तविकता इससे बिल्कुल अलग दिख रही है। नगर पंचायत में सफाईकर्मी, जल आपूर्ति से जुड़े कर्मी और अन्य आवश्यक कर्मचारी पर्याप्त संख्या में नहीं हैं, जिसके चलते आम जनता को परेशानी झेलनी पड़ रही है।

पानी की गंभीर समस्या:
गर्मी के मौसम में पानी की मांग बढ़ जाती है, लेकिन नगर पंचायत की जलापूर्ति व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है। कई इलाकों में नल सूख चुके हैं और टैंकर से जल आपूर्ति की कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं की गई है। लोगों को लंबी कतारों में लगकर पानी भरने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

सफाई व्यवस्था बदहाल:
नगर पंचायत के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में कचरा प्रबंधन की हालत दयनीय है। नियमित सफाई न होने के कारण जगह-जगह गंदगी के ढेर लग गए हैं, जिससे दुर्गंध और बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। नालों की सफाई भी नहीं हो रही, जिससे जलभराव की समस्या उत्पन्न हो सकती है।

कर्मचारियों की भारी कमी:
नगर पंचायत में सफाईकर्मियों और अन्य कर्मचारियों की भारी कमी है। स्थायी पदों पर भर्ती नहीं होने के कारण अस्थायी कर्मचारियों के भरोसे काम चलाया जा रहा है, जिससे नगर की व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हो रही है।

प्रशासन और जनप्रतिनिधि क्यों नाकाम?
जनता ने नगर पंचायत के प्रतिनिधियों को बेहतर शासन और सुविधाओं की उम्मीद में चुना था, लेकिन वे इस उम्मीद पर खरे नहीं उतर पा रहे। चुनावी समय में बड़े-बड़े वादे किए गए थे, लेकिन अब वे केवल कागजी घोषणाएँ बनकर रह गए हैं। प्रशासन की निष्क्रियता और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता से जनता को बार-बार धोखा मिल रहा है , नगर पंचायत को उपलब्ध बजट का सही तरीके से इस्तेमाल करना चाहिए ताकि बुनियादी सुविधाओं में सुधार किया जा सके।

अब देखने वाली बात यह होगी कि नगर पंचायत और प्रशासन कब तक इस समस्या का समाधान निकालते हैं या फिर जनता को अपने हक के लिए और इंतजार करना पड़ेगा?


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