वन अधिकार पत्र वितरण में अनियमितता, निष्पक्ष जांच और निरस्तीकरण की मांग

धरमजयगढ़ – वन अधिकार पत्र वितरण में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का मामला प्रकाश में आया है। आरोप है कि वन विभाग द्वारा तय मापदंडों को दरकिनार कर मनमाने तरीके से वन अधिकार पत्र वितरित किए गए। सबसे गंभीर आरोप यह है कि एक ही परिवार के कई सदस्यों को अलग-अलग पट्टा आवंटित कर दिया गया, जबकि वास्तविक हकदार वंचित रह गए।
मामला धरमजयगढ़ के उदउदा ग्राम का है, विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, कुछ प्रभावशाली परिवारों ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर न केवल स्वयं के नाम पर, बल्कि अपने रिश्तेदारों के नाम पर भी जंगलों में पट्टे प्राप्त कर लिए। इस पूरे मामले ने वन विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
हकदार वंचित, रसूखदारों को लाभ
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस धांधली में वास्तविक जरूरतमंदों के साथ अन्याय हुआ है। कई आदिवासी और पिछड़े वर्गों के लोग, जो वर्षों से जंगल पर निर्भर हैं, अभी भी वन अधिकार से वंचित हैं। वहीं, प्रभावशाली परिवारों को मनमाने तरीके से लाभ दिया गया है।
निष्पक्ष जांच और निरस्तीकरण की मांग
इस मामले को लेकर अब स्थानीय संगठनों और ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। उन्होंने प्रशासन से इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है। साथ ही, जिन पट्टों का आवंटन नियमों के विरुद्ध हुआ है, उन्हें तत्काल निरस्त करने की अपील की गई है।
यदि इस मामले की उच्चस्तरीय जांच नहीं हुई, तो ग्रामीण बड़े आंदोलन की चेतावनी दे रहे हैं। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस पर क्या कदम उठाता है।