*भ्रष्टाचार का एक्सप्रेस वे बनाने वाला अधिकारी निलंबित*

छत्तीसगढ़ में जमीन अधिग्रहण घोटाला: भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ों की हेराफेरी!
रायपुर से विशाखापट्टनम तक के एक्सप्रेस-वे कॉरिडोर के निर्माण के दौरान एक बड़ा घोटाला सामने आया है। भारतमाला परियोजना के तहत बनने वाले इस कॉरिडोर से यात्रा की दूरी 83 किमी कम हो जाएगी, लेकिन इसी योजना में अधिकारियों और रसूखदारों ने मिलकर भारी भ्रष्टाचार को अंजाम दिया है।
कैसे हुआ करोड़ों का घोटाला?
सरकारी नियमों के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में 500 वर्गमीटर से कम भूमि पर अधिक मुआवजा मिलता है। इसी का फायदा उठाकर अधिकारियों और रसूखदारों ने मिलकर बड़ी-बड़ी जमीनों को 500 वर्गमीटर के छोटे टुकड़ों में बांट दिया।
पहले 32 बड़े प्लॉट के लिए 35 करोड़ का मुआवजा तय था।
लेकिन जब इन्हें छोटे टुकड़ों में विभाजित किया गया, तो यह मुआवजा बढ़कर 326 करोड़ हो गया।
इनमें से 248 करोड़ रुपये का भुगतान भी कर दिया गया।
भ्रष्टाचार के मास्टरमाइंड का पर्दाफाश!
जांच में सामने आया कि तत्कालीन एसडीएम निर्भय साहू इस घोटाले के मास्टरमाइंड थे। जांच कमेटी ने उन्हें दोषी मानते हुए सरकार को रिपोर्ट सौंपी, जिसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया।
नेताओं और व्यापारियों की मिलीभगत
भारतमाला परियोजना की घोषणा होते ही रायपुर और धमतरी के बड़े व्यापारियों ने यहां जमीनें खरीद लीं। फिर अधिकारियों से सांठगांठ कर 500 वर्गमीटर के नियम का दुरुपयोग करते हुए करोड़ों रुपये डकार लिए।
नेता ने उठाया विधानसभा में मामला
इस घोटाले का मामला विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने उठाया, जिसके बाद जांच शुरू हुई। हालांकि, अब सवाल यह उठता है कि क्या सरकार दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी या मामला ठंडे बस्ते में चला जाएगा?
क्या यह घोटाला सिर्फ एक शुरुआत है, या अभी और बड़े खुलासे बाकी हैं? पढ़ते रहिए हमारी खास रिपोर्ट!